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स्वर्गतः परम पुज्यनीय डाँ केशव बलिराम हेडगेवार

Tuesday, May 30, 2006

स्वयंसेवक बन्धुओं

स्वयंसेवक बन्धुओं, तुमनें एक अत्यन्त पवित्र व्रत लिया है। उसका स्मरण करो। तुमने हिन्दू राष्ट्र को स्वावलम्बी तथा निर्भय बनाने का निश्चय किया है। और तुम अपने को सच्चे राषट्रवादी मानते हो। किन्तु क्या तुमने इसका भी विचार किया है कि अपने ध्येय और व्रत की तुलना में तुम्हारी तैयारी किस दर्जे की हैं?

सिध्दान्त और व्यवहार का समन्वय हम कुशलतापूर्वक अपने जीवन में प्रकट करें। इसी में मनुष्यत्व है, ऐसा मेरा दृढ विश्वास है। यदि हम व्यक्तिगत स्वार्थभावना को तिलांजलि दें, तो सिध्दान्त और व्यवहार का समन्वय आपही आप हो जाएगा। हमारा स्वार्थही हर समय हमारे कर्तव्य पथपर आपत्तियों के पहाड खडे करता है। अतः हमारे संघ बन्धुओं को चाहिये कि प्रथम वे स्वार्थ की क्षुद्रमर्यादा को पार करें।

हम हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये इतना कुछ कर जाये की हमारे पश्चात भी हिन्दूधर्म में चैतन्य बना रहे। हमें सौंपी गई यह धरोहर चोरों के हाथ न लगने पावे। हम सावधानी के साथ इसकी रक्षा करते रहें।

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