कार्यकर्ताओं से अपेक्षा
निर्दोष कार्य करने हेतु, शुध्द चरित्र के साथ साथ आकर्षकता और बुध्दिमता का मणिकांचन योग भी साधना चाहिये। सच्चरित्र, आकर्षकता, और चातुर्य इन तीनों के त्रिवणी संगम से ही संघ का उत्कर्ष होता है। चारित्र्य के रहते हुए भी चतुराई के अभाव में संघकार्य हो नहीं सकता। संघकार्य सुचारू रूपसे चलाने के लिए हमें लोकसंग्रह के तत्वों को भलीभाँति समझ लेना होगा।
0 Comments:
Post a Comment
<< Home