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स्वर्गतः परम पुज्यनीय डाँ केशव बलिराम हेडगेवार

Tuesday, May 30, 2006

हिन्दू राष्ट्र

हिन्दू जाति का सुख ही मेरा और मेरे कुटुम्ब का सुख है। हिन्दू जाति पर आनेवाली विपत्ति हम सभी के लिये माहासंकट है और हिन्दू जाति का अपमान हम सभी का अपमान है। ऐसी आत्मीयता की वृत्ति हिन्दूमात्र के रोम रोम में व्याप्त होनी चाहिये। यही राष्ट्रधर्म का मूलमंत्र है।

केवल भूमि के किसी टुकदडे को तो राष्ट्र नहीं कहते। एक विचार, एक आचार, एक सभ्यता, एवम एक परम्परा से, जो लोग पुरातन काल से रहते चले आये हैं, उन्हीं लोगों से राष्ट्र बनता है। इस देश को हमारे ही कारण हिन्दुस्थान नाम दिया गया है।

हमलोगों में चाहे जितने ऊपरी मतभेद दिखाई दें परन्तु, हम सारे हिन्दू तत्वतः एक राष्ट्र हैं। हमारी धमनियों में एक - सा रक्त बह रहा है। हमारी पवित्र भाषा एक है। हमारे राजनीतिशास्त्र, समाजरचना और तत्वज्ञान एक है। इस प्रकार हमारे संगठन की नींव शास्त्रशुध्द है।

इंग्लैण्ड अंग्रेजों का, प्रान्स प्रान्सिसियों का, जर्मनी जर्मनों का देश है। इस बात को उपर्युक्त देशों के निवासी सहर्ष घोषित करते है। किन्तु इस अभागे हिन्दुस्थान के स्वामी हिन्दू, स्वयम् अपने को इस देश के अधिकारी कहने का साहस नहीं करते।

दूसरों से सहायता की आशा करना या भीख मांगना निरी दुर्बलता का चिन्ह है। इसलिए, स्वयंसेवक बन्धुओं, निर्भयता के साथ यह घोषणा करो कि हिन्दुस्थान हिन्दुओंकाही है। अपने मन की दुर्बलता को बिल्कुल दूर भगा दो। हम यह नहीं कहते की विदेशी लोग यहां न रहे। परन्तु विदेशी लोग इस बात को कभी न भूलें कि वे हिन्दुओं के हिन्दुस्थान में रहते हैं और उन्हें हिन्दुओं के अधिकारों पर आक्रमण करने का कोई अधिकार नहीं है। हमें ऐसी पुरिस्थिति उत्पन्न कर देनी चाहिये कि हमारे सिरपर दूसरे लोग सवार न हों।

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